क्षमा ही दान महादान है।
मान सहित विष खाय के शम्भु भय जगदीश।
बिना मान अमृत पिये राहु कटायो शीश।।
अपमान मत करना आपका अपमान किसी ने कर दिया हो बाबुड़ा तो उसको माफ़ कर देना। जैसे नेल्सन मंडेला जी ने माफ़ किया था बोलें राष्ट्पति बुश महोदय २७ साल तक इन लोगो ने आपको जेल मैं रखा और आपकी सारी जवानी जेल मैं काट गयी। और अपने इन्हे माफ़ कर दिया। बोलें मुझे क्रोध आया तो था लेकिन जब मैं जेल से बाहर निकलने लगा तो मुझे की मुझे इन्हे यही छोड़ के जाना चाहिए।
बार-बार मन मैं मत लाइये जिन्होंने आपका अपमान किया। उनको क्षमा कर दीजिये और अपनी विस्मृति देवी को जगा दीजिये। मैं तो भूल गया।
क्षमा दान महादान है।
अभय दान दीजिये ,क्षमा दान दीजिये देखो ये स्वास की नाली और भोजन की नली भी कितना मिलकर रहती है। और मैं तो पढ़ा और सुना बाबू जब की हमारे भोजन ३२ दांत चबाकर लुगदी कर देते है। और पाचन तंत्र का प्रथम रस तो लार के रूप मैं ही मिलने लग जाता है। उस समय जब भोजन का ग्रास अंदर है तो स्वास कुछ क्षणो रुक जाती है। और जैसे ही भोजन का ग्रास अंदर गया की स्वास पुनः चलने लग जाती है। यह कितना शरीर देह देवालय मिलकर ठाकुर जी चला रहे है। और हम नहीं मिलकर रह पातें
स्वार्थ ना मन में लाइए,
स्वार्थ दुखों का मूल।
बाँट बाँट कर खाइये।
यही सुखों का कुल।।
सूखों के लिए हमारी गलतियों की समीक्षा करनी है। महाभारत काल का युद्धा शकुनी के षड़यंत्र से धृतराष्ट्र के अविवेक से भीष्म पितामह के मोन रह जाने के कई कारणों से हुआ। सबसे बड़ा कारन तो दुर्योधन का गर्व था और कर्ण ने भी पाप का साथ दिया।
आज समीक्षा मे मैं देव दक्षिणा मैं प्राथना करता हु की अपने घर की फुट को मत बढ़ने दीजिये उसको आज ही समाप्त कर दीजिये सोने से पहले आप दोनों भाई एक कक्ष मैं बैठ जाइये भगवान के सामने अगरबत्ती जला दीजिये दीपक जला दीजिये और उस दीपक के प्रकाश में अपने विकारों को आप समापत कर दीजिये
कफ़न मे तोह जेब नहीं होती बाबू।सब यही रह जायेगा यह अनित्या है। आना और जाना यह जीवन एक उलझन है। कहीधोखा तो कही ठोकर कोई गिरता है रो रो कर कोई उठता है हंस हंस कर।
जो मुश्किल मैं सभाल जाये उसे इंसान कहते है पराया दर्द समझा जाये उसे इंसान कहते है। पराई आँखों के आँसू को पोछ लीजिये इन विकलांगो को खड़ा कर दीजिये इन बच्चों को हंसा दीजिये आप तो काम कीजिये इन बच्चोँ को चॉकलेट ही दे दीजिये
सब धर्मो की एक ही
बात प्यार बढ़ाओ सबके साथ
सब रोगों की एक ही दवाई
हस्ते रहिये मेरे भाई विकलांग
भी अब दौड़ेगा, अपनी लाठी छोड़ेगा।
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